पवित्रशास्त्र बाइबल प्रमाणित करता है कि यीशु परमेश्वर है।
वह अदृश्य याहवे के प्रतिरूप और सारी सृष्टि में सर्वश्रेष्ठ हैं। उन्हीं के द्वारा सब कुछ, चाहे वह स्वर्ग का है, या पृथ्वी का, दिखने वाला या न दिखने वाला, चाहे राजासन या राज्य या प्रधानताएँ या शक्ति, सब कुछ उन्हीं के द्वारा और उन्हीं के लिए बना है।
कुलुस्सि. 1.15-16
मैं और पिता एक हैं।”
यह सुन कर यहूदियों ने यीशु को पत्थरवाह करने के लिए फिर पत्थर उठाए।
तब यीशु ने उन से कहा, “मैंने तुम्हें अपने पिता की ओर से बहुत से भले काम दिखाए हैं, उन में से किस काम के लिए तुम मुझे पत्थर मारते हो?”
यहूदियों ने उन्हें उत्तर दिया, “भले काम के लिए हम आपको पत्थरवाह नहीं करते, लेकिन परमेश्वर की निन्दा के कारण और इसलिए कि आप मनुष्य होकर अपने आपको परमेश्वर बनाते हैं।”
यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या तुम्हारी धार्मिक किताब में नहीं लिखा है कि मैंने कहा, तुम ईश्वर हो? परमेश्वर ने उन्हें ईश्वर कहा, जिन के पास परमेश्वर का वचन पहुँचा, और जिसे पिता ने पवित्र ठहराकर जगत में भेजा है, उससे तुम कहते हो कि तुम निन्दा करते हो। क्योंकि मैंने कहा, कि ‘मैं परमेश्वर का बेटा हूँ।’ यदि मैं अपने पिता के काम नहीं करता, तो मेरा विश्वास न करो। परन्तु यदि में करता हूँ, तो चाहे मेरा विश्वास न भी करो, लेकिन उनकामों पर विश्वास करो, ताकि तुम जानो, और समझो कि पिता मुझ में हैं, और मैं पिता में हूँ।
यूह 10.30-38
हम इस बात को नही भूल सकते कि फरीसियों ने यीशु को इसलिए पकड़वाया था कि वह मनुष्य होकर परमेश्वर होना का दावा करता है।
आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।
सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ। जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उसमें से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई।
और वचन ने देह धारण की, और कृपा और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में आकर रहा, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।
परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा, केवल ‘एकलौते पुत्र’ ने जो पिता की गोद में हैं, परमेश्वर को प्रगट किया।
यूह 1.1, 3, 14, 18
पूर्वज उन्हीं के हैं, जहाँ तक देह का सवाल है मसीह यहूदियों में से आए थे, जो सब के ऊपर हैं, परमेश्वर हैं और सदा-सदा के लिए बड़ाई के लायक हैं। ऐसा ही हो।
रोमी 9.5
हमें यह पता है कि परमेश्वर के पुत्र, यीशु आ चुके हैं और परमेश्वर ने हमें समझ दी है, ताकि हम उस यीशु को जो सच्चे हैं, अपना सकें। उनके बेटे यीशु मसीह जो सच्चे हैं, हम उन्हीं में हैं। वही सच्चे परमेश्वर और अनन्त जीवन हैं।
1 यूह 5.20
यीशु के परमेश्वर होने के 13 गुण :
1. उसका अस्तित्व अनादि काल से हैं।
स्वामी परमेश्वर, जो हैं, जो थे, जो आने वाले हैं और जो सर्वशक्तिमान हैं, यह कहते हैं, “मैं अल्फ़ा और ओमेगा हूँ, पहला और आखिरी हूँ”।यह कहता है, “मैं ही अल्फा और ओमेगा हूँ।”
प्रका. वा 1:8
2. अपरिवर्तनशील
मसीह कल और आज और युगानुयुग एक से हैं।
इब्रानि. 13.8
3.सर्वशक्तिमान (4 दिन के मरे हुए को जीवित करना)
यह कह कर यीशु ने बड़े शब्द से पुकारा, “लाज़र, निकल आओ।”
यह सुन कर जो मर गया था, वह हाथ पाँव बन्धे हुए निकल आया। उसका मुँह अँगोछे से लिपटा हुआ था। यीशु ने उन से कहा, “उसके बन्धन खोल दो और उसे जाने दो।”
यूह 11.43-44
4. सर्वव्यापी (हर जगह एक ही समय में उपस्थित)
5. सर्वज्ञानी (अनादि बातों का ज्ञान होना)
6. पवित्र
7. न्यायी
पिता किसी का इन्साफ़ भी नहीं करते, परन्तु इन्साफ़ करने का सब काम पिता ने पुत्र को सौंप दिया है,
यूह 5.22
8. प्रेममय
मेरा आदेश यह है कि जैसा मैंने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही प्रेम तुम भी एक दूसरे से रखो। इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं कि कोई अपने दोस्तों के लिए अपनी जान दे। जिन बातों का मैं तुम्हें आदेश देता हूँ, उन्हें यदि तुम करते हो, तो तुम मेरे दोस्त हो।
यूह 15.12-14
9. करुणामय
तो उन्होंने हमें मुक्ति दी जो हमारे धर्म-कर्म से नहीं लेकिन उन्हीं की कृपा द्वारा नए जन्म के स्नान और पवित्र आत्मा के नए बनाने से थी।
तीत 3.5
10. विश्वासयोग्य
यदि हम भरोसेमन्द न भी रहें, तौभी वह भरोसेमंद हैं, वह स्वयं अपना इन्कार नहीं कर सकते।
2 तीम. 2.13
11. सृष्टिकर्ता
वह अदृश्य याहवे के प्रतिरूप और सारी सृष्टि में सर्वश्रेष्ठ हैं। उन्हीं के द्वारा सब कुछ, चाहे वह स्वर्ग का है, या पृथ्वी का, दिखने वाला या न दिखने वाला, चाहे राजासन या राज्य या प्रधानताएँ या शक्ति, सब कुछ उन्हीं के द्वारा और उन्हीं के लिए बना है। वह सृष्टि से पहले थे और उन्हीं के द्वारा सब कुछ संभाला जाता है। वह देह अर्थात् चर्च के सिर हैं, वही शुरूआत और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहलौठे हैं, ताकि हर बात में सर्वश्रेष्ठ हों। इसलिए स्वर्गिक पिता को यह पसन्द आया कि सारी भरपूरी यीशु में निवास करे। और चाहे पृथ्वी की, चाहे स्वर्ग की, उन्होंने सभी का मेल यीशु के क्रूस पर बहे खून के द्वारा स्वयं से करा लिया।
कुलुस्सि. 1.15-20
12. उद्धारकर्ता (पवित्र आत्मा के द्वारा पैदा होना)
यीशु मसीह का जन्म इस तरह हुआः यूसुफ़ के साथ मरियम की सगाई के बाद इसके पहले कि उनका कोई शारीरिक सम्बन्ध हो, पवित्र आत्मा के द्वारा वह गर्भवती हो गयी। एक भले व्यक्ति होने की वजह से यूसुफ़ ने जो मरियम की बेइज़्ज़ती नहीं देख सकता था, चुपचाप से अपनी सगाई की शपथ को तोड़ना चाहा।
लेकिन जब वह इन बातों के बारे में सोच ही रहा था, तभी अचानक सपने में प्रभु का एक स्वर्गदूत प्रगट होकर कहने लगा, “दाऊद के वंशज यूसुफ़, मरियम को अपने यहाँ लाने से मत डरो। उसके गर्भ का फल पवित्र आत्मा की तरफ़ से है। उसके एक बेटा पैदा होगा, तुम उसका नाम यीशु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों को उनके गुनाहों की सज़ा से बचाएगा।”
मत्त 1.18-21
13. यीशु का दूसरा आगमन।
यदि यीशु मसीह मात्र मनुष्य होते तो वह वापस नहीं आते क्योंकि वह परमेश्वर हैं इसलिए वह वापस आ रहे हैं।
देखो! वह बादलों के साथ आ रहे हैं। हर एक आँख उन्हें देखेगी, यहाँ तक कि वे लोग भी जिन्होंने उन्हें मार डाला था। दुनिया के सभी लोग उनके कारण बिलख-बिलख कर रोएँगे। हाँ, ऐसा ही होगा।
स्वामी परमेश्वर, जो हैं, जो थे, जो आने वाले हैं और जो सर्वशक्तिमान हैं, यह कहते हैं, “मैं अल्फ़ा और ओमेगा हूँ, पहला और आखिरी हूँ”।
प्र. व. 1.7-8
14. मनुष्य और परमेश्वर का स्वरूप।
हालाँकि यीशु परमेश्वर थे, लेकिन उस अधिकार के पद से चिपके न रहे, न ही उस अधिकार का दावा किया। लेकिन यीशु ने अपनी सारी शान को अलग रख कर दूसरे मनुष्यों की तरह एक इन्सान बन कर एक बन्धुआ मजदूर का सा स्थान ले लिया। पूरी तरह से एक इन्सान के रूप में आकर, उन्होंने अपने आप को यहाँ तक दीन किया, कि मरने के लिए तैयार हो गए, यहाँ तक कि क्रूस पर मौत भी सह ली। इसलिए परमेश्वर ने यीशु को बहुत ऊँचा किया और एक नाम दिया जो हर एक नाम से ऊँचा है। ताकि जितने लोग स्वर्ग, पृथ्वी और पृथ्वी के नीचे हैं, वे सब यीशु के नाम के सामने घुटना झुकाएँ। परमेश्वर पिता की इज़्ज़त और बड़ाई के लिए हर एक व्यक्ति यह मान ले कि यीशु मसीह ही प्रभु हैं।
फिलिप्पि. 2.6-11
🙏🙏🙏
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें