क्या आप परमेश्वर की संतान बनना चाहते हैं?
क्या कोई व्यक्ति अपनी धन संपत्ति के द्वारा परमेश्वर की संतान बन सकता है या फिर किसी मनुष्य के द्वारा या किसी अधिपति के द्वारा या किसी मनुष्य की इच्छा के द्वारा या फिर किसी ऊंचे पद वालों के द्वारा क्या अपने धर्मों कर्मों के द्वारा ?
कुछ लोग तो यह भी सोचते हैं कि उन्हें परमेश्वर की संतान बनने के लिए धर्म परिवर्तन की जरूरत हैं !
इन सब बातों के द्वारा कोई भी व्यक्ति परमेश्वर की संतान नहीं बन सकता बल्कि
परमेश्वर खुद आपको अपनी संतान बनने का अधिकार देते हैं ।
पवित्रशास्त्र बाईबल में लिखा है:
परन्तु जितनों ने यीशु मसीह को विश्वास करके ग्रहण किया, उस ने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार व हक दिया, अर्थात यीशु मसीह के नाम पर जो विश्वास रखते हैं।
यह साफ़ लिखा है कि जितनों ने यीशु मसीह पर विश्वास किया उनको परमेश्वर ने अपनी संतान बनने का अधिकार दिया लेकिन सबको नही क्यों ? क्योंकि उन्होंने यीशु मसीह पर विश्वास नहीं किया ।
आज लोग अपने अविश्वास के कारण परमेश्वर की संतान नहीं बन पा रहे हैं।
बाईबल में ये भी लिखा है कि:
क्योंकि परमेश्वर ने दुनिया से ऐसा प्रेम किया कि उस ने अपना एकमात्र पुत्र को दे दिया, ताकि जो इंसान उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु सदा काल का जीवन पाए। परमेश्वर ने यीशु मसीह को दुनिया में इसलिये नहीं भेजा, कि दुनिया पर सज़ा की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि दुनिया उसके द्वारा उद्धार पाए। जो यीशु पर विश्वास करता है, उस पर कोई सज़ा की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर भरोसा नहीं करता, वह दोषी ठहर चुका इसलिये कि उस ने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम अर्थात यीशु मसीह पर विश्वास नहीं किया। और सज़ा की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति (यीशु मसीह) जगत में आई है, और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक अच्छा जाना क्योंकि उन के काम बुरे थे।
बाईबल में लिखा हैं कि :
(यीशु मसीह) जिस ने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के बराबर होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और सेवक का रूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन व नम्र किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। इस कारण परमेश्वर ने उस को अति महान भी किया, और उस को वह नाम दिया जो सब नामों में सर्वश्रेष्ठ है। कि जो स्वर्ग में और दुनिया पर और जो दुनिया के नीचे है वे सब यीशु मसीह के नाम पर घुटना टेकें। और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ स्वीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।
यीशु मसीह आपके पापों के लिए बलिदान क्यों हुए :
पवित्रशास्त्र कहती हैं कि :
इसलिये कि सब ने दुनिया मे पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से दूर हैं।
क्योंकि पाप की कीमत तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में सदाकाल का जीवन है।
और बिना रक्त बहाए पापों की क्षमा नहीं होती ऐसा पवित्रशास्त्र कहता है
वैसे ही यीशु मसीह भी बहुत लोगों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ और जो लोग उस का मार्ग देखते हैं, उन के उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप के दिखाई देगा।
अब विश्वास क्यों जरूरी हैं :
क्योंकि की :
कि यदि तू अपने मुंह से यीशु मसीह को प्रभु जानकर स्वीकार करे और अपने मन से निश्चय विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में सेजीवित किया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा। क्योंकि धामिर्कता के लिये मन से भरोसा किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से स्वीकार किया जाता है। क्योंकि पवित्र शास्त्र यह कहता है कि जो कोई यीशु मसीह पर विश्वास करेगा, वह लज्जित न होगा। क्योंकि जो कोई प्रभु यीशु मसीह का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।
पवित्रशास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया और उसे गाड़ा गया; और पवित्र शास्त्र के अनुसार वह तीसरे दिन जी भी उठा।
यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह (यीशु मसीह) हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। यदि कहें कि हम ने पाप नहीं किया, तो उसे झूठा ठहराते है।
और यीशु मसीह की ओर से, जो विश्वासयोग्य साक्षी और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा, और पृथ्वी के राजाओं का शासक है, तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे: जो ( यीशु मसीह) हम से प्रेम रखता है, और जिस ने अपने लहू के द्वारा हमें पापों से छुड़ाया है।
यीशु मसीह वही हमारे पापों का प्रायश्चित्त है: और केवल हमारे ही नहीं, वरन सारे जगत के पापों का बलिदान है।
इन सब बाईबल के पदों को पढ़ने के बाद आपको अनुभव हो गया होगा कि यीशु कौन है और क्यो वह क्रूस पर आपके लिए बलिदान हुए।
आपको पूरे मन से विश्वास यह करना है कि:
1. यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र हैं।
2. यीशु ही प्रभु हैं।
3. यीशु मसीह परमेश्वर होने पर भी मनुष्य बनकर पृथ्वी में आया।
4 . यीशु मसीह मेरे पापों का बलिदान (प्रायश्चित) हैं।
5. यीशु मेरे पापों के कारण मारा गया ।
6. और उसे गाड़ा गया।
7. और वह तीसरे दिन मुर्दों में से जी उठा ।
अब आइये इस प्रार्थना को कीजिये :
हे प्रभु यीशु मैं अपने पापों को त्यागकर अपने पूरे मन से तुझ पर विश्वास करता या करती हूं कि तू मेरे पापों के कारण क्रूस पर मारा गया और मुझे धर्मी ठहराने के लिये तीसरे दिन मुर्दों में से जी उठा। हे प्रभु मेरे पापों को क्षमा कर और मुझे नया आत्मा और नया मन दे ताकि मैं तेरे वचनों में चल संकू।।
यीशु मसीह के नाम से आमीन।।
और आपके विश्वास के बाद आप परमेश्वर की संतान बन जाते हैं और पवित्रशास्त्र कहता है
अब जो कोई प्रभु यीशु मसीह में है तो वो नई सृष्टि है औऱ देखो पुरानी बातें बीत गई हैं सब कुछ नया हो गया है।
परमेश्वर आपके पापों को, और आपके अधर्म के कामों को फिर कभी याद नहीं करेगा। और जब इन पापों की माफ़ी हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान बाक़ी नहीं रहा॥
परमेश्वर आपको आशीष दे।।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें