क्या एक मसीही किसी अविश्वासी के साथ विवाह कर सकता हैं या नहीं ?
जवाब हैं नहीं क्यों नहीं ?
पढ़िये- 2 कुरिन्थ. 6.14-18
जो लोग मसीह पर विश्वास नहीं लाए हैं, उनके साथ साझे में कुछ मत करो। इसलिए कि धार्मिकता और अंधकार में एकता कैसे बनी रह सकती है? या रोशनी और अँधेरा एक साथ कैसे आ सकते हैं? मसीह और शैतान कैसे एक सहमति बना सकते हैं? या मसीही और गैर मसीही का क्या सम्बन्ध? क्या परमेश्वर के भवन और मूर्तियों के बीच कोई समझौता संभव है? क्योंकि हम परमेश्वर का जीवित भवन हैं। जैसा कि परमेश्वर ने कहा भी था, “मैं उन में रहूँगा और उनके बीच चला-फिरा करूँगा। मैं उनका परमेश्वर होऊँगा और वे मेरे लोग होवेंगे।” इसलिए प्रभु कहते हैं, “उनके बीच में से निकलो और अलग हो जाओ और जो कुछ अशुद्ध है, उसे मत छुओ, तब मैं तुम्हें अपनाऊँगा। “मैं तुम्हारा पिता होऊँगा, तुम मेरे बेटे-बेटियाँ होगे” सर्वशक्तिमान प्रभु का कहना यही है।”
●यदि ये वचन पढ़कर आपके आंखे नहीं खुली तो आपका इलाज़ नही हो सकता? यदि फिर भी आप किसी अविश्वासी के साथ विवाह करना चाहते हैं तो आपके लिए ताड़ना ही तैयार है।
◆जैसा सुलेमान के जीवन में हुआ :
पढ़िये: 1 रा 1:1-11
राजा सुलेमान फ़िरौन की बेटी और तमाम दूसरे देशों जैसे मोआबी, अम्मोनी, एदामी, सिदोनी और हित्ती महिलाओं को पसन्द करने लगा। ये महिलाएँ ऐसी पृष्ठभूमि से थीं, जिन से परमेश्वर ने सम्बन्ध जोड़ने के लिए इसलिए मना किया था, ताकि वे सुलेमान का मन दूसरे देवताओं की ओर न मोड़ लें। लेकिन ऐसी ही महिलाओं से लगाव हो गया। उसके सात सौ रानियाँ और तीन सौ रखेलियाँ हो गयी। इन स्त्रियों ने उस का मन बहका दिया। सुलेमान के बुढ़ापे में इन स्त्रियों ने उस का मन देवताओं की तरफ़ कर दिया। उस का दिल उसके पिता दाऊद की तरह उसके प्रभु परमेश्वर पर पूरी तरह नहीं टिका रहा। सुलेमान सिदोनियों की अश्तोरेत नामक देवी और अम्मोनियों के मिल्कोम नामक घिनौने देवता को मानने लगा। जो परमेश्वर की निगाह में घिनौनी बात थी, वही सुलेमान ने की। अपने पिता दाऊद की तरह उस का मन प्रभु परमेश्वर से मिला न रहा। सुलेमान ने यरूशलेम के सामने के पर्वत पर मोआबियों के कमोश नामक घिनौने देवता के लिए और अम्मोनियों के मोलेक नामक घिनौने देवता के लिए एक ऊँचा स्थान बनवाया। दूसरे राष्ट्रों की अपनी स्त्रियों के लिए भी जो अपने-अपने देवताओं के लिए धूप जलातीं और बलिदान करती थीं, उसने ऊँचे स्थान बनवाए। तब जिस प्रभु परमेश्वर ने उसे दो बार दर्शन दिया था, उस परमेश्वर से उस का मन हट जाने से, इस्राएल के परमेश्वर का गुस्सा भड़क गया। पराए देवताओं को न मानने की आज्ञा उसे परमेश्वर ने पहले ही से दी थी, लेकिन उसने अनसुनी की। इसलिए परमेश्वर ने सुलेमान से कहा, “इसलिए कि मेरे साथ बान्धी गयी वाचा को तुमने तोड़ दिया है इस कारणवश मैं तुम्हारे हाथ से शासन छीन कर तुम्हारे एक कर्मचारी को दे दूँगा।”
◆ नहेम्याह की चेतावनी
तो क्या हम तुम्हारे बारे में ऐसी बुराई सुन सकते हैं कि तुम अन्यजाति स्त्रियों से शादी करके, यह बुराई कर रहे हो और अपने परमेश्वर के खिलाफ़ बेवफ़ाई कर रहे हो? और एल्याशीब महायाजक के बेटे योयादा का एक बेटा, होरोनी सम्बल्लत का दामाद था, इसलिये मैंने उसको अपने पास से भगा दिया।
नहेमा 13.27-28
◆ एज्रा की चेतावनी
इसलिए अब तुम न तो अपनी बेटियों की शादी उनके बेटों से कराना और न कभी उनका हालचाल पूछना। इसलिए कि तुम ताकतवर बनो और उस देश को अच्छी-अच्छी वस्तुएँ खाओ और उसे ऐसा छोड़ जाना, कि वह तुम्हारे वंश के अधिकार में हमेशा रहे। और उसे सब के बाद जो हमारे गलत कामों और बड़े दोष के कारण हम पर बीता है, जब कि हमारे परमेश्वर आपने हमारे बुरे कामों के बराबर हमें सज़ा नहीं दी, लेकिन बहुतों को बचा कर रखा है। क्या हम आपकी आज्ञाओं को फिर से न मानकर इन घिनौने काम करने वाले लोगों से समधियाना का रिश्ता करें? क्या आप हम पर यहाँ तक क्रोध न करेंगे जिससे हम मिट जाएँ और न तो कोई बचे और न कोई रह जाए?
एज्र 9.12-14
◆मूसा की चेतावनी
सतर्कता बरतना कि तुम उस देश में रहने वाले लोगों से सम्बन्ध स्थापित न करो, जिस से वे तुम्हें, अपने देवी-देवताओं के सामने चढ़ावा और उसमें से खाने के लिए न्यौता दें। और तुम अपने बेटों के लिए उनकी बेटियों को लो, जो कि अपने देवी-देवताओं को मानने वाली होंगी। वे तुम्हारे बेटों को भी अपने ईश्वरों का उपासक बना डालेंगी।
निर्ग 34.15-16
◆और फिर दाऊद के जीवन में देखिए जब वह व्यभिचार करता है
तब उसका बेटा मर जाता है।
तब दाऊद नातान से बोला, “मेरा अपराध परमेश्वर के खिलाफ़ है।” नातान बोला, “परमेश्वर ने तुम्हारे अपराध को तुम से दूर किया है, इसलिए तुम मरोगे नहीं। लेकिन क्योंकि तुमने परमेश्वर के दुश्मनों को तुच्छ जानने का मौका दिया है, इसलिए जो तुम्हारे बेटा होगा, वह मर जाएगा।”
2 शमू. 12.13-14
परमेश्वर की कड़ी चेतावनी हैं कोई भी विश्वासी, अविश्वासी से विवाह न करें।।
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