सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

आमीन का अर्थ - स्थाई, ठोस, दृढ़ और विश्वासयोग्यता है।

आमीन का अर्थ ऐसा ही हो हम सब जानते हैं लेकिन आमीन का अर्थ इससे कहीं और ज्यादा है 

आमीन का अनुवाद -  वास्तव में सच में या निश्चय शब्दों के रूप मे किया गया है।

आमीन का अर्थ -  स्थाई, ठोस, दृढ़ और विश्वासयोग्यता है।

आमीन किसी बात के समर्थन में उपयोग किया जाता है।

आमीन प्रार्थना के साथ आपकी सहमति या प्रार्थना पूरी होने की इच्छा को प्रकट करता है।

आमीन प्रमाण है वफादारी का।

आमीन नाम है मसीह यीशु का।

आमीन एग्रीमेंट है जो आपकी सहमति को दिखाता है।

जब हम प्रार्थना व घोषणा के अंत में आमीन कहते हैं इसका अर्थ है कि मैं सहमत हूं मैं विश्वास करता हूं।

आमीन छाप या मुहर हैं विश्वासयोग्यता और सच्चाई का आमीन इस बात का सबूत है कि जो वचन व घोषणा किया गया है वह ठोस है और बदल नहीं सकता।।



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Result And Defination Of Fornication In Hindi - जो व्यभिचार करता है वह उस व्यभिचार करवाने वाली आत्मा के साथ एक हो जाता हैं।

सर्वप्रथम इस बात को समझ ले कि  वेश्यागमन दाखमधु और दाखरस समझ को नष्ट करते हैं। मेरी प्रजा के लोग लकड़ी की मूरतों से सलाह लेते हैं। और अपनी जादुई छड़ से दिशा हासिल करते हैं, क्योंकि वेश्यागमन की आत्मा ने उन्हें गुमराह कर दिया है, और अपने परमेश्वर से भटककर उन्होंने वेश्यागमन किया। हो 4.11-12 और उसको आत्मा और शरीर  चाहिये  व्यभिचार करने के लिए। व्यभिचार का अर्थ क्या हैं ?  1. जो किसी स्त्री को कामुक दृष्टि से मात्र देख लेता है, वह अपने मन में उसके साथ व्यभिचार कर चुका।  2. विवाह से पहले किसी भी स्त्री या पुरूष के साथ शरीरिक संबंध बनाना व्यभिचार हैं।  3. अपने पति या पत्नी को छोड़कर किसी और के साथ शरीरिक संबंध बनाना व्यभिचार हैं।  4. कामुकता व्यभिचार हैं।  5. वासना व्यभिचार हैं।  6. विवाह से पहले प्यार करना व्यभिचार हैं।  7. कामुकता या वासना या यौन संबंधी बातें बोलना या देखना या सुनना व्यभिचार हैं। 8. अपने स्वामी को छोड़कर किसी और को अपना स्वामी स्वीकार करना व्यभिचार हैं। 9. किसी भी प्रकार का लालच व्यभिचार के बराबर हैं और व्यभिचार मूर्तिपूजा के...

कौन सी बातें यीशु मसीह को परमेश्वर साबित करता हैं ?

 यीशु मसीह का पैदा होना परमेश्वर बनाता है क्योंकि यीशु परमेश्वर होने पर भी मनुष्य बनकर पैदा हुए एक कुँवारी स्त्री के द्वारा और वह कुँवारी मरियम किसी मनुष्य के द्वारा नही बल्कि पवित्र आत्मा परमेश्वर के द्वारा पैदा हुए। शरीर, शरीर के द्वारा पैदा होता है। आत्मा, आत्मा के द्वारा पैदा होता हैं क्योंकि परमेश्वर आत्मा हैं। पवित्रशास्त्र बाइबल प्रमाणित करता है कि यीशु परमेश्वर है। वह अदृश्य याहवे के प्रतिरूप और सारी सृष्टि में सर्वश्रेष्ठ हैं। उन्हीं के द्वारा सब कुछ, चाहे वह स्वर्ग का है, या पृथ्वी का, दिखने वाला या न दिखने वाला, चाहे राजासन या राज्य या प्रधानताएँ या शक्‍ति, सब कुछ उन्हीं के द्वारा और उन्हीं के लिए बना है। कुलुस्सि. 1.15-16 मैं और पिता एक हैं।” यह सुन कर यहूदियों ने यीशु को पत्थरवाह करने के लिए फिर पत्थर उठाए। तब यीशु ने उन से कहा, “मैंने तुम्हें अपने पिता की ओर से बहुत से भले काम दिखाए हैं, उन में से किस काम के लिए तुम मुझे पत्थर मारते हो?” यहूदियों ने उन्हें उत्तर दिया, “भले काम के लिए हम आपको पत्थरवाह नहीं करते, लेकिन परमेश्‍वर की निन्दा के कारण और ...

बाइबल के अनुसार उपवास कैसे करना चाहिए ? How to fast according to the Bible In Hindi ?

बाइबल के अनुसार उपवास कैसे करना चाहिए ? How to fast according to the Bible In Hindi ? उपवास करने से पहले उपवास के अर्थों को समझना जरूरी हैं। उपवास भक्ति और समर्पण का तथा परमेश्वर के अधीन होने का मार्ग हैं।  उपवास परमेश्वर की इच्छा को जानने का माध्यम है। 1. उपवास कब करना चाहिए ? पवित्रआत्मा की अगुवाई या प्रेरणा के द्वारा। बपतिस्मे के बाद पवित्र आत्मा यीशु को जंगल में ले गया, ताकि शैतान से उनकी परख की जाए। चालीस दिन और चालीस रात कुछ नहीं खाने के बाद उन्हें ज़ोरदार भूख लगी। मत्त 4.1-2 2. उपवास के दिन क्या करना चाहिए ? अधिक से अधिक बाइबल अध्ययन करें और वचनों को याद करे और स्वयं वचनों को तैयार करे। और अपने आप को जांचे की जीवन के किस क्षेत्र में आपको परमेश्वर से क्षमा मांगने की जरूरत है या किसी को क्षमा करना है की नहीं। दूसरों के लिए जरूर प्रार्थना करें ऐसा नहीं की प्रार्थना का सारा विषय आप ख़ुद ही हो। आराधना करें और आत्मिक गीतों को भजनों को करें। पवित्रआत्मा को अपने जीवन में अनुमति दे अधिकार दे और प्रार्थना करें पवित्रआत्मा के साथ। 3. उपवास से हमें क्या-क्या लाभ होता हैं ? ...