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Result And Defination Of Fornication In Hindi - जो व्यभिचार करता है वह उस व्यभिचार करवाने वाली आत्मा के साथ एक हो जाता हैं।

सर्वप्रथम इस बात को समझ ले कि  वेश्यागमन दाखमधु और दाखरस समझ को नष्ट करते हैं। मेरी प्रजा के लोग लकड़ी की मूरतों से सलाह लेते हैं। और अपनी जादुई छड़ से दिशा हासिल करते हैं, क्योंकि वेश्यागमन की आत्मा ने उन्हें गुमराह कर दिया है, और अपने परमेश्वर से भटककर उन्होंने वेश्यागमन किया। हो 4.11-12 और उसको आत्मा और शरीर  चाहिये  व्यभिचार करने के लिए। व्यभिचार का अर्थ क्या हैं ?  1. जो किसी स्त्री को कामुक दृष्टि से मात्र देख लेता है, वह अपने मन में उसके साथ व्यभिचार कर चुका।  2. विवाह से पहले किसी भी स्त्री या पुरूष के साथ शरीरिक संबंध बनाना व्यभिचार हैं।  3. अपने पति या पत्नी को छोड़कर किसी और के साथ शरीरिक संबंध बनाना व्यभिचार हैं।  4. कामुकता व्यभिचार हैं।  5. वासना व्यभिचार हैं।  6. विवाह से पहले प्यार करना व्यभिचार हैं।  7. कामुकता या वासना या यौन संबंधी बातें बोलना या देखना या सुनना व्यभिचार हैं। 8. अपने स्वामी को छोड़कर किसी और को अपना स्वामी स्वीकार करना व्यभिचार हैं। 9. किसी भी प्रकार का लालच व्यभिचार के बराबर हैं और व्यभिचार मूर्तिपूजा के बराबर हैं। 10. व्यभिचार भयानक मदिरा के समान हैं।

बाइबल के अनुसार उपवास कैसे करना चाहिए ? How to fast according to the Bible In Hindi ?

बाइबल के अनुसार उपवास कैसे करना चाहिए ? How to fast according to the Bible In Hindi ? उपवास करने से पहले उपवास के अर्थों को समझना जरूरी हैं। उपवास भक्ति और समर्पण का तथा परमेश्वर के अधीन होने का मार्ग हैं।  उपवास परमेश्वर की इच्छा को जानने का माध्यम है। 1. उपवास कब करना चाहिए ? पवित्रआत्मा की अगुवाई या प्रेरणा के द्वारा। बपतिस्मे के बाद पवित्र आत्मा यीशु को जंगल में ले गया, ताकि शैतान से उनकी परख की जाए। चालीस दिन और चालीस रात कुछ नहीं खाने के बाद उन्हें ज़ोरदार भूख लगी। मत्त 4.1-2 2. उपवास के दिन क्या करना चाहिए ? अधिक से अधिक बाइबल अध्ययन करें और वचनों को याद करे और स्वयं वचनों को तैयार करे। और अपने आप को जांचे की जीवन के किस क्षेत्र में आपको परमेश्वर से क्षमा मांगने की जरूरत है या किसी को क्षमा करना है की नहीं। दूसरों के लिए जरूर प्रार्थना करें ऐसा नहीं की प्रार्थना का सारा विषय आप ख़ुद ही हो। आराधना करें और आत्मिक गीतों को भजनों को करें। पवित्रआत्मा को अपने जीवन में अनुमति दे अधिकार दे और प्रार्थना करें पवित्रआत्मा के साथ। 3. उपवास से हमें क्या-क्या लाभ होता हैं ? उपवा

Murtipuja ka Arth aur Astitv | Parinam | Samadhan मूर्तिपूजा का अस्तित्व और परिणाम और समाधान Existence and consequences and solution of idolatry

मूर्तिपूजा का अस्तित्व और परिणाम और समाधान Existence and consequences and solution of idolatry अस्तित्व या मूर्तियों की वास्तविकता    “उसे सज़ा मिले, जो मूर्तिकार के हाथों से गढ़ी या ढली मूर्ति बनवा कर किसी छिपी जगह में रखे। यह परमेश्‍वर के लिए घिनौनी बात है। तब सभी लोग जवाब में कहें, ऐसा ही हो।” व्यवस्था. 27.15 इसलिए इस पृथ्वी पर जो तुम्हारी शारीरिक लालसाएँ हैं, जैसे यौन कामुकता, अशुद्धता, बुरी लालसा और लालच, इन सब को मार डालो। इन्हीं कारणों से स्वर्गिक पिता का क्रोध उनकी आज्ञा न मानने वालों पर आता है। कुलुस्सि. 3.5-6 क्योंकि बलवा करना शकुन को मानने के बराबर अपराध है और हठीलापन मूरत की पूजा के बराबर अपराध है। इसलिए कि तुमने परमेश्‍वर की बात मानने से इन्कार किया है, उन्होंने भी तुम्हें राजा बना रहना मंजूर नहीं किया है। 1 शमू. 15.23 स्वर्ग से परमेश्‍वर का दण्ड उन लोगों की सारी दुष्टता और अन्याय पर प्रगट होता है , जो अपने अन्याय और दुष्टता से सच्चाई को दबा देते हैं। परमेश्‍वर के बारे में जो कुछ जाना जा सकता है वह उनके बीच में साफ़-साफ़ दिखता है, क्योंकि परमेश्‍वर ने उन्हें यह

आमीन का अर्थ - स्थाई, ठोस, दृढ़ और विश्वासयोग्यता है।

आमीन का अर्थ ऐसा ही हो हम सब जानते हैं लेकिन आमीन का अर्थ इससे कहीं और ज्यादा है  आमीन का अनुवाद -  वास्तव में सच में या निश्चय शब्दों के रूप मे किया गया है। आमीन का अर्थ -  स्थाई, ठोस, दृढ़ और विश्वासयोग्यता है। आमीन किसी बात के समर्थन में उपयोग किया जाता है। आमीन प्रार्थना के साथ आपकी सहमति या प्रार्थना पूरी होने की इच्छा को प्रकट करता है। आमीन प्रमाण है वफादारी का। आमीन नाम है मसीह यीशु का। आमीन एग्रीमेंट है जो आपकी सहमति को दिखाता है। जब हम प्रार्थना व घोषणा के अंत में आमीन कहते हैं इसका अर्थ है कि मैं सहमत हूं मैं विश्वास करता हूं। आमीन छाप या मुहर हैं विश्वासयोग्यता और सच्चाई का आमीन इस बात का सबूत है कि जो वचन व घोषणा किया गया है वह ठोस है और बदल नहीं सकता।।

स्वर्ग की विरासत inheritance of Heaven

हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्‍वर और पिता का धन्यवाद हो, जिन्होंने यीशु मसीह के मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा में नया जन्म दिया है। अर्थात् एक न मिटने वाली और अमर विरासत के लिए जो तुम्हारे लिए स्वर्ग में रखी है। जो परमेश्‍वर की ताकत से विश्‍वास के द्वारा उस मुक्‍ति के लिए सुरक्षित रखे गए हैं, जो आने वाले समय में प्रगट होने वाली है। इस वजह से तुम मगन होते हो हालांकि ज़रूर है कि तुम इस समय तरह-तरह की परीक्षाओं की वजह से उदास हो। यह इसलिए कि तुम्हारा परखा हुआ विश्‍वास जो आग से तपाए हुए बर्बाद न होने वाले सोने से भी कहीं ज्य़ादा कीमती है, यीशु मसीह के लौटने पर बड़ाई, इज़्ज़त और महिमा का कारण ठहरे। तुम बिना यीशु को देखे उन से मोहब्बत रखते हो और बिना देखे विश्‍वास करके ऐसे खुश और मगन होते हो, जो बयान से बाहर और महिमा से भरा हुआ है। और तुम्हारे विश्‍वास का नतीजा तुम्हारा उद्धार है। इसी मुक्‍ति या उद्धार के बारे में उन भविष्यद्वक्‍ताओं ने होशियारी से जाँच पड़ताल की थी। उन्होंने इस बात की खोज की, कि मसीह का आत्मा जो उन में था और पहले ही से मसीह क

क्या एक मसीही किसी अविश्वासी के साथ विवाह कर सकता हैं या नहीं ?

क्या एक मसीही किसी अविश्वासी के साथ विवाह कर सकता हैं या नहीं ? जवाब हैं नहीं क्यों नहीं ?  पढ़िये- 2 कुरिन्थ. 6.14-18 जो लोग मसीह पर विश्‍वास नहीं लाए हैं, उनके साथ साझे में कुछ मत करो। इसलिए कि धार्मिकता और अंधकार में एकता कैसे बनी रह सकती है? या रोशनी और अँधेरा एक साथ कैसे आ सकते हैं? मसीह और शैतान कैसे एक सहमति बना सकते हैं? या मसीही और गैर मसीही का क्या सम्बन्ध? क्या परमेश्‍वर के भवन और मूर्तियों के बीच कोई समझौता संभव है? क्योंकि हम परमेश्‍वर का जीवित भवन हैं। जैसा कि परमेश्‍वर ने कहा भी था, “मैं उन में रहूँगा और उनके बीच चला-फिरा करूँगा। मैं उनका परमेश्‍वर होऊँगा और वे मेरे लोग होवेंगे।” इसलिए प्रभु कहते हैं, “उनके बीच में से निकलो और अलग हो जाओ और जो कुछ अशुद्ध है, उसे मत छुओ, तब मैं तुम्हें अपनाऊँगा। “मैं तुम्हारा पिता होऊँगा, तुम मेरे बेटे-बेटियाँ होगे” सर्वशक्‍तिमान प्रभु का कहना यही है।” ●यदि ये वचन पढ़कर आपके आंखे नहीं खुली तो आपका इलाज़ नही हो सकता? यदि फिर भी आप किसी अविश्वासी के साथ विवाह करना चाहते हैं तो आपके लिए ताड़ना ही तैयार है। ◆जैसा सुलेमान के जीवन में ह

कौन सी बातें यीशु मसीह को परमेश्वर साबित करता हैं ?

 यीशु मसीह का पैदा होना परमेश्वर बनाता है क्योंकि यीशु परमेश्वर होने पर भी मनुष्य बनकर पैदा हुए एक कुँवारी स्त्री के द्वारा और वह कुँवारी मरियम किसी मनुष्य के द्वारा नही बल्कि पवित्र आत्मा परमेश्वर के द्वारा पैदा हुए। शरीर, शरीर के द्वारा पैदा होता है। आत्मा, आत्मा के द्वारा पैदा होता हैं क्योंकि परमेश्वर आत्मा हैं। पवित्रशास्त्र बाइबल प्रमाणित करता है कि यीशु परमेश्वर है। वह अदृश्य याहवे के प्रतिरूप और सारी सृष्टि में सर्वश्रेष्ठ हैं। उन्हीं के द्वारा सब कुछ, चाहे वह स्वर्ग का है, या पृथ्वी का, दिखने वाला या न दिखने वाला, चाहे राजासन या राज्य या प्रधानताएँ या शक्‍ति, सब कुछ उन्हीं के द्वारा और उन्हीं के लिए बना है। कुलुस्सि. 1.15-16 मैं और पिता एक हैं।” यह सुन कर यहूदियों ने यीशु को पत्थरवाह करने के लिए फिर पत्थर उठाए। तब यीशु ने उन से कहा, “मैंने तुम्हें अपने पिता की ओर से बहुत से भले काम दिखाए हैं, उन में से किस काम के लिए तुम मुझे पत्थर मारते हो?” यहूदियों ने उन्हें उत्तर दिया, “भले काम के लिए हम आपको पत्थरवाह नहीं करते, लेकिन परमेश्‍वर की निन्दा के कारण और इसलि